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नवम स्वरूप, मां सिद्धिदात्री,इनकी उपासना से पाएं शक्तिशाली सिद्धियां

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  नवरात्र में नवें  दिन मां अम्बे के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है।मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से भक्त गणों को सम्पूर्ण भाहमंद को विजय करने की शक्ति मिलती हैं तथा समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं । सिद्धिदात्री भगवती के भक्त के भीतर कोई भी मनोकामना  बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। मां सिद्धिदात्री अपने भक्त पे इतनी कृपा बरसती है की वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और लोभ से ऊपर उठकर मानसिक रूप से अम्बे भगवती के दिव्य लोक में ऐसा खोता है की वह विषय-भोग-शून्य हो जाता है।  उसे किसी भी वस्तु को पाने की लालसा नहीं बचती ।मां सिद्धिदात्री का का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है तथा इस परम सुख की प्राप्ति के पश्चात  उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती। मां सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पे विराजमान रहती है। मां भगवती की चार भुजाएं है।दाहिने तरफ के ऊपर वाले हाथ में चक्र है तथा दाहिने तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा है।बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में शंख तथा नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है।माता का वाहन सिंह है। कथा के अनुसार मां...

परमाणु परीक्षण से आया ईरान में भूकंप!

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  इन दिनों ईरान तथा इजरायल के मध्य युद्ध की तनातनी चल रही है।ईरान ने पिछले दिनों इजरायल की राजधानी तेल अवीव पर १८० मिसाईल दागी थीं।जिसका बदला लेने की बात इजरायल ने कही थी। इजरायल की इस धमकी के बाद ईरान अपने आपको से हर स्थिति के लिए तैयार कर रहा है। अपने हथियार बढ़ा रहा है। ५ अक्टूबर २०२४ को ईरान  सेमनान प्रांत में रिक्टर पैमाने पर 4.5 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. भूकंप का केंद्र कथित तौर पर सतह से लगभग 10 किलोमीटर नीचे और एक ईरानी न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट के करीब था. भूकंप  स्थानीय समय के अनुसार रात १०.४५ बजे आया।european mediterranean seismological centre के अनुसार भूकंप के झटके ११० km दूर ईरान की राजधानी तेहरान तक महसूस किए गए। सोशल मीडिया पे लोगों ने ईरान के न्यूक्लियर टेस्ट करने की बहस चल रही है। हालांकि ईरान के संबंधित अधिकारियों ने इस बात का नही खंडन नहीं पुष्टि की है।

अष्टम स्वरूप, मां महागौरी,इनकी पूजा से पाएं मनवांछित फल।

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  नवरात्र में अष्टमी को मां भगवती के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है।माता  महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजा अर्चना करने से भक्तों का कल्याण होता है।  जगदम्बा मां महागौरी की  कृपा से दिव्य सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मां महागौरी भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती है। माता की आराधना से भक्तजनों के  असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। मां महागौरी का वर्ण गौर अर्थात् गोरा है तथा उनके वस्त्र एवम् आभूषण भी स्वेत हैं।माता का वहां वृषभ (बैल) है।मां महागौरी की चार भुजाएं हैं।माता के   दाहिने  तरफ के ऊपर वाली भुजा  अभय मुद्रा में और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। बाईं  तरफ की ऊपर वाली भुजा में डमरू और नीचे  का बायां हाथ  वर-मुद्रा में हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत एवम्  सौम्य है। यही महागौरी देवताओं की प्रार्थना पर हिमालय की श्रृंखला मे शाकंभरी के नाम से प्रकट हुई थी। कथा के अनुसार एक बार भगवान भोलेनाथ की किसी बात से आहत होकर मां पार्वती हिमालय में दूर कही जाकर तपस्या में लीन हो जाती हैं।तपस्या करने के दौरान एक सिंह(शेर)...

सप्तम स्वरूप, मां कालरात्रि

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 नवरात्र के सप्तमी के दिन भगवती दुर्गा के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। देवी कालरात्रि को अन्य नामों जैसे - काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यू-रुद्राणी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री , स्यामवर्ण कालरात्रि मां के अन्य कम प्रसिद्ध नामों में हैं | मां कालरात्रि तथा मां काली एक ही है किंतु कुछ लोग इनको अलग अलग मानते है।मां भगवती  के इस रूप से सभी राक्षस,भूत, प्रेत, पिशाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है, जो उनके आगमन से  दूर भागते हैं | मां कालरात्रि के शरीर का रंग घनघोर अंधकार की तरह एकदम काला है तथा केश बिखरे हुए हैं। गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है। माता के तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं तथा उनसे विद्युत के समान तेज किरणें विकिरित होती रहती हैं।मां कालरात्रि  की नासिका से सांस लेने से अग्नि की भयंकर लपटें निकलती रहती हैं । इनका वाहन गाढ़ा (गदहा) है।माता की चार भुजाएं है ,ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय...

षष्ठ स्वरूप, मां कात्यायनी

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  नवरात्र के षष्ठम दिन पे आदिशक्ति मां अम्बे के षष्ठम स्वरूप मां कात्यायनी के रूप में पूजा जाता है। मां कात्यायनी ने महिषासुर का संहार करके समस्त संसार का कल्याण किया था। मां कात्यायनी की  भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।माता की आराधना से  जीवन में अद्भुत शक्ति का संचार होता है तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की सक्षमता आती हैं। एक कथा के अनुसार प्रसिद्ध ऋषि कत के पुत्र कात्य हुए।कात्य ऋषि के गोत्र में महर्षि कात्यायन हुए।महर्षि कात्यान की मनोकामना थी की भगवती अम्बे उनके घर पुत्री के रूप में जन्म ले। जिसके लिए उन्होंने वर्षों तक कठिन तपस्या की।मां जगदम्बा ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूर्ण की। महिषासुर नमक राक्षस का ब्रह्मदेव से वर प्राप्त करने के पश्चात जब संसार में उपद्रव बढ़ गया।समस्त जीव उसके आतंक से त्राहिमाम करने लगे तब सभी देवता ब्रह्मा ,विष्णु,  महेश के पास गए । तीनों देवों ने अपने तेज के अंश देकर तथा स...

पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता

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  नवरात्र के पांचवें दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। मां स्कंदमाता की भक्ति से सुख की प्राप्ति,समस्त इच्छाओं की पूर्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। देव तथा असुरों के मध्य युद्ध में सेनानायक  थे भगवान "कुमार कार्तिकेय"।भगवान कार्तिकेय को " स्कंद" कहा जाता है। भगवान स्कन्द की मां होने के कारण देवी के इस रूप को स्कंदमाता कहा जाता है। स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनके दाहिनी तरफ की एक भुजा में कमल का फूल है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा में  भी कमल पुष्प ली हुई हैं। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। कमल के आसन पर विराजित होने के  कारण माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है।माता के इस स्वरूप का वाहन सिंह है। माँ स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएँ पूरी  हो जाती हैं। इस मृत्युलोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होता  है। उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वयं ही सुलभ हो जाता है। स्कंदमाता की आराधना से बालरूप स्कंद भगवान (कुमार कार्तिकेय) की उपासना भी साथ में हो जाती है। यह विशेषता केवल इसी स्वरूप को...

चतुर्थ स्वरूप ,मां कुष्मांडा

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  नवरात्र के चतुर्थ दिन में भगवती मां के कुष्मांडा स्वरुप की उपासना होती है। आदिशक्ति मां के कुष्मांडा स्वरुप को ब्रह्मांड का रचयिता माना जाता है।जब ब्रह्मांड में कुछ भी नही था तब मां की दिव्य मुस्कुराहट से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई।कुष्मांडा अर्थात "कु" का अर्थ "छोटा" ऊष्मा का अर्थ "शक्ति" तथा अंडा का तात्पर्य ब्रह्मांडीय अंडा। संस्कृत में कुष्मांड का मतलब कोहड़ा होता है।माता को कोहड़े की बाली प्रिय है।मां कुष्मांडा की उपासना करने से समस्त रोग ,दुख, दर्द, दूर होकर जीवन में आयु ,यश,तथा आरोग्य में वृद्धि होती है। मां कुष्मांडा का स्वरुप अत्यंत ऊर्जावान है।मां की आठ भुजाएं होने के कारण उनको अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है।मां की आठों भुजाओं में क्रमश कमंडल, धनुष, बाण,कमल पुष्प,अमृत से भरा हुआ कलश, चक्र तथा गदा है। माता के आठवें हाथ में समस्त सिद्धियां तथा यश प्रदान करने वाली जप माला है।माता का वाहन सिंह है।मां का प्रिय रंग लाल है।  इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। मां के शरीर की कांति और...

तृतीय स्वरूप,मां चंद्रघंटा

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  नवरात्र के तीसरे दिन दुर्गा मां के स्वरूप चंद्रघंटा के रूप में पूजा की जाती है।मां चंद्रघंटा को आत्मविश्वास, साहस तथा वैभव की देवी मां जाता है।माता का  वाहन सिंह है। उनके दस हाथ हैं तथा हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। माता नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती हैं। माता के  मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्णमयी  है।  माता को नारंगी रंग पसंद है। मां चंद्रघंटा की कृपा से भक्तो  के समस्त पाप और बाधाएँ नष्ट हो जाती हैं। माँ भक्तों के कष्ट का निवारण अतिशीघ्र कर देती हैं। माता के भक्त सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों को भूत प्रेत से रक्षा करती है। माता का ध्यान करते ही भक्त की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि गूंज उठती है। माँ  चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण रहता है। इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होता है तथा संपूर्ण काया में कांति-गुण की वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य, तथा मिठास का...

बांग्लादेशी हीरोइन मुंबई में गिरफ्तार

 मुंबई पुलिस ने बांग्लादेशी हीरोइन रिया अरविंद बारदे उर्फ़ आरोही बरदे उर्फ़ बन्ना शेख़ को महाराष्ट्र के ठाणे से जालसाजी  तथा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत में अवैध रूप से रहने के आरोप में २७ सितंबर गुरुवार को गिरफ्तार किया।बांग्लादेशी हीरोइन रिया बरदे वयस्क फिल्मों में काम करती थी। रिया बरदे मुंबई में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मुंबई में रह रही थी तथा पोर्न फिल्मों में काम करती थी।रिया के पासपोर्ट पर उसका जन्मस्थान तीन जगह का ज़िक्र है, पश्चिम बंगाल का २४ परगना, हुगली तथा महाराष्ट्र के अमरावती जिले का अचलपुर।रिया के खिलाफ तहकीकात बीते एक वर्ष से हो रही थी।रिया ने एक जालसाजी गिरोह से संपर्क करके अपने फर्जी दस्तावेजों के आधार पे अपने एक सहकर्मी के लिए फर्जी डिग्री तथा पासपोर्ट बनवाने के लिए कहा था। रिया बारदे अपनी मां अंजली बारदे उर्फ़ रूबी शेख़ के साथ अवैध रूप से भारत में रहती थी।रिया बरदे की मां ने अमरावती के अरविंद बारदे के साथ शादी की थी। फिलहाल रिया बारदे के मां बाप कतर में रहते हैं।

दूसरा स्वरूप: मां ब्रह्मचारिणी

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  नवरात्र में मां दुर्गा का दूसरे दिन में मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप में पूजा जाता है।देवी पुराण के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी हमेशा साधना में लीन रहती हैं जिसकी वजह से देवी का तेज बढ़ा हुआ है। अधिक तेज होने के कारण माता का वर्ण गौर (गोरा) है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है।माता को सफेद रंग अत्यधिक प्रिय है।माता का कोई वाहन नहीं है माता अपने पैरों से चलती है।   देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें  ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल ग्रहण किया तथा सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया।  इन्होंने दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और तेज धूप के कष्ट सहन किया। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र ग्रहण करना भी त्याग  दिया। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्...