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षष्ठ स्वरूप, मां कात्यायनी

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  नवरात्र के षष्ठम दिन पे आदिशक्ति मां अम्बे के षष्ठम स्वरूप मां कात्यायनी के रूप में पूजा जाता है। मां कात्यायनी ने महिषासुर का संहार करके समस्त संसार का कल्याण किया था। मां कात्यायनी की  भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।माता की आराधना से  जीवन में अद्भुत शक्ति का संचार होता है तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की सक्षमता आती हैं। एक कथा के अनुसार प्रसिद्ध ऋषि कत के पुत्र कात्य हुए।कात्य ऋषि के गोत्र में महर्षि कात्यायन हुए।महर्षि कात्यान की मनोकामना थी की भगवती अम्बे उनके घर पुत्री के रूप में जन्म ले। जिसके लिए उन्होंने वर्षों तक कठिन तपस्या की।मां जगदम्बा ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूर्ण की। महिषासुर नमक राक्षस का ब्रह्मदेव से वर प्राप्त करने के पश्चात जब संसार में उपद्रव बढ़ गया।समस्त जीव उसके आतंक से त्राहिमाम करने लगे तब सभी देवता ब्रह्मा ,विष्णु,  महेश के पास गए । तीनों देवों ने अपने तेज के अंश देकर तथा स...